श्री हस्तिनापुर तीर्थ

मंदिर का दृश्य |
मुलनायक भगवान
१. श्री शांतिनाथ भगवान, पद्मासनस्थ, गुलाबी वर्ण, लगभग ९० सें.मी.(श्वे. मंदिर)
तीर्थ स्थल :
हस्तिनापुर गाँव में(उत्तर प्रदेश) |
प्राचीनता :
भगवान आदिनाथ ने अपने पुत्र बाहुबलीजी को पोदनापुर व् हस्तिनापुर राज्य दिये थे| पोदनापुरमें बाहुबलीजी व् हस्तिनापुर राज्य दिए थे| पोदनापुर में बाहुबलीजी व् हस्तिनापुर में उनके पुत्र श्री सोमयश राज्य करते थे| सोमयश के लघु भ्राता श्री श्रेयांसकुमार द्वारा यहाँ पर एक रत्नमई स्तूप का निर्माण करवाकार श्री आदिनाथ प्रभु की चरण-पादुकाएँ स्थापित कराने का उल्लेख है| श्री आदिनाथ भगवान के पश्चात् श्री शांतिनाथ भगवान, श्री कुंथुनाथ भगवान व श्री अर्हनाथ भगवान के च्यवन, जन्म, दीक्षा व केवलज्ञान कल्याणक यहाँ हुए| उन प्राचीन स्तुपो व मंदिरों का आज पता नहीं, क्योंकि इस नगरी का अनेको बार उठान-पतन हुआ है| जगह-जगह पर भूगर्भ से अनेको प्राचीन अवशेष प्राप्त हुए है, जो प्राचीनता की याद दिलाते है| भगवान् महावीर से उपदेश पाकर यहाँ के राजा शिवराज ने जैन धर्म का अनुयायी बनकर दीक्षा अंगीकार की| उसने भगवान की स्मृति में एक स्तूप का भी निर्माण करवाया था|
विक्रम की सतरहवी सदी में श्री विजयसागरजी यात्रार्थ पधारे तब ५ स्तूप व् ५ जिन प्रतिमाएँ होने का उल्लेख है| वि.सं. १६२७ में खरतरगच्छाचार्य श्री जिनचन्द्रसूरीजी यात्रार्थ पधारे, तब यहाँ ४ स्तुपो का वर्णन किया है|
इस श्वेताम्बर मंदिर का हाल में पुन: जिणोरद्वार होकर वि.सं.२०२१ मगसर शुल्क १० को आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय समुद्रसूरीजी की निश्रा में प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी| इस दिगंबर मंदिर की प्रतिष्ठा वि.सं. १८६३ में होने का उल्लेख है|