भागलपुर स्टेशन के निकट गंगा नदी किनारे चंपा नाला के पास जिसे चम्पानगर (चम्पापुरी ) कहते है |
प्राचीनता –
भगवान श्री आदिनाथ ने देश को ५२ जनपदों में विभाजित किआ था ,उनमे अंग जनपद भी एक था | चंपा अंग जनपद की राजधानी थी |वर्तमान चौबीस के भार्वे तीर्थंकर श्री वसुपुजय भगवान के पांचो कलयानक् इस पावन भूमि में हुए |किसी समय यह नगर मिलो तक फैला वैभवसंपन्न था |
प्रभु धर्मोपदेश देते हुए आषाढ़ शुक्ला चतुर्दशी के दिन उतराषाडा नक्षत्र में छ:सौ मूनियो के साथ अनशन व्रत में यही पर मुक्ति पद को प्राप्त हुए |भगवान् श्री पार्श्वनाथ व श्री महावीर भगवान् का भी यहा पदापर्ण हुआ था| पश्चात प्रभु महावीर के पत्धर श्री सुधार्मस्वामी व श्री जम्बूस्वामी ने भी यहा पदापर्ण किया था |
योवनावस्ता को प्राप्त होने पर माता-पिता द्वारा विवाह करने के लिए काफी समझाया गया परंतु प्रभु ने मंजूरी नही दी व संसार को असार समझकर वर्शिदान देते हुए छट तप सहित दीक्षा ग्रहण की |प्रभु विहार करते हुए पुन : यहा के उधान में पधारे व पाटल वृष्क के निचे धयानवस्था में रहते हुए केवलगयान प्राप्त किया |